हैरानी जनक किस्सा-आधुनिक दौर में डाकघर में उमड़ी भीड़ और डाक की बाढ़

चलो आज ताज़ा करते हैं कुछ पुराने समय की बातें। आज से कुछ वर्ष पहले जब स्मार्ट फोन और इंटरनेट का जमाना नही था तो हम सब लोग किसी को नव वर्ष, जन्मदिन और सालगिरह आदि की बधाई पत्र लिखकर या ग्रीटिंग भेज कर देते थे। पर आज ये सारी जगह मोबाइल फोन और कंप्यूटरों ने ले ली। आज हर कोई बधाई के संदेश घर बैठे ही सस्ते ढंग एवं सरलता से भेजने की क्षमता रखता है।

इस आधुनिकता के दो पहलू हैं। एक तो यह जो की सर्वमान्य है कि आज के युग में समय के अभाव के कारण ये विचारों के आदान-प्रदान तथा रिश्तों को एक सूत्र में बान्ध कर रखने में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।इस प्रकार कि तकनीक से सभी लोग आपस में आसानी से एक दूसरे से जुड़े रह सकते हैं।

परंतु इसका अन्य पहलू जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण है परंतु आज लोगों कि विचारधारा से विलुप्त होता जा रहा है। इस आधुनिक तकनीक के कारण वो भावना जो बधाई संदेश देते समय पहले हुआ करती थी वो कहीं ना कहीं बड़े पैमाने पर विलुप्त होती जा रही है। मुझे याद है कुछ वर्ष पहले जब हम स्कूल जाते थे तो एक प्रेम भावना एवं चाव से पत्र तथा ग्रीटिन्ग बना कर मित्रों एवं सगे-संबंधियों को दिया करते थे। अपने हाथों से बनाये उन ग्रीटिन्ग एवं अन्य उपहारों से अलग ही एक प्रेम कि खुशबू आती थी।

इसका एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ये भी है कि आज लोगों में इन आधुनिक यन्त्रों के अत्यधिक उपयोग के कारण आत्मविश्वास की बहुत ही कमी आई है। इन कारणों से ही आज लोग सामने बैठकर बात करने में बहुत कतराने लगे हैं। केवल इंटरनेट के ही माध्यम से बात करना स्वयं के अनुकूल मानते हैं। इससे बात करने की कुशलता में भी एक बड़े पैमाने पर गिरावट आई है जो कि एक अन्यन्त गंभीर विषय है।

पर क्या आज के युग में हर जगह केवल इंटरनेट से ही बधाई दी जाती है ?

क्या आज पुराने समय वली भावना समाप्त होती जा रही है?

बिल्कुल भी नहीं! मेरा ये जवाब बेशक बिल्कुल हैरान कर देने वाला है परन्तु है बिल्कुल सच! आज भी दुनिया के एक कोने में वो भावना एक बड़े पैमाने पर जिन्दा है! आज भी कुछ लोग हैं जो अपने दिल के भावों को शब्दों में पिरोकर एक दिल की गहराई से निकले हुए प्रेम और विरह के तीर की तरह अपने प्रियजन तक पहुंचा रहे हैं। उनका यह अत्यंत वैराग्य से सुशोभित प्रेम एवं अनुराग ही मुझे उनकी इस गाथा को शब्दों में संजोकर प्रस्तुत करने का एक छोटा-सा प्रयास करने को बल दे रही है।

चलो अब बिना एक क्षण की भी देरी किए बात करते हैं अपने जन कल्याण कार्यों के लिये एक विश्व-विख्यात संस्था के साथ जुड़े विशाल जन समूह की जो आज पूरी दुनिया में अपने 133 मानवता भलाई कार्यों के लिये ना केवल प्रसिद्ध हैं बल्कि 80 से ज्यादा विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम पर दर्ज करवा कर अपने इस अत्यंत भावनात्मक हुनर का लोहा मनवा चुके हैं। जी हाँ! मेरा तात्पर्य हरियाणा के सिरसा में एक विशाल विश्व विख्यात संस्था डेरा सच्चा सौदा से है। इस संस्था के गुरु सन्त डॉ गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां आज भले ही भाहरी तौर पर अपने शिष्यों से दूर हों पर उनके शिष्यों में उनके प्रति प्रेम, विरह एवम् विश्वास में लेश्मात्र भी कमी का आभास तक नहीं हो रहा।

जी हाँ! पिछ्ले एक वर्ष से भले ही बाबा राम रहीम अपने शिष्यों से दूर सुनारिया, रोहतक में रह रहें हों पर उनके शिष्य वहाँ भी उन तक अपने प्रेम भरे संदेश पहुंचाने का एक भी मौक़ा हाथ से जाने नहीं दे रहे। पिछ्ले महीने अगस्त में उनके जन्मदिन पर हजारों की तादात में ग्रीटिन्ग के माध्यम से उन तक अपने भाव पहुंचाए जो की इतिहास में पहली बार जेल में किसी एक व्यक्ति-विशेष के लिये इतने बधाई संदेश पहुंचने का विश्व कीर्तिमान भी साबित हुआ। यही नहीं इस श्रेणी में बाबा के लिये उनके भक्तों द्वारा राखियाँ, शिक्षक दिवस की बधाईयों के कार्ड एवं उनके गुरुगद्दी दिवस के भी बधाई संदेशों का एक विशाल मात्रा में भरतीय डाक द्वारा पहुंचना शामिल है।

भारतीय डाक की सुनरिया शाखा के पोस्टमास्टर जगदीश बुधवार के अनुसार उन्होनें अपने 40 वर्ष के कार्यकाल के दौरान किसी एक व्यक्ति के लिए बधाई के डाक भेजने का इतना उत्साह आज तक नहीं देखा था। उनके अनुसार तो इन बधाई संदेशों की जैसे बाड़ आ गई है। बाबा के खिलाफ आए सी बी आई कोर्ट के फैसले, मीडिया की कहानियों और अन्य दुष्प्रचारो का उनके भक्तों की आस्था में कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है। वे आज भी बाबा को पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा से याद करते हैं तथा उनके जल्दी बाहर आने की कामना करते हैं। ये सब वृतांत बाबा की सच्चाई तथा सच की ताकत साबित करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

वहीं भक्तों की यह वैराग्यमयी प्रेम-भावना किसी भी धड़कते हुए दिल को कुरेदने की क्षमता रखती है। उनकी इस विरह की भावना और प्रेम का पूरे संसार में अन्य कोई साक्ष्य नहीं मिल सकता। यह सब बाबा की पावन शिक्षाओं एवं भक्तों की भक्ति के कारण ही सम्भव हो पाया है।

भक्तों की इस भक्ति को मेरा सलाम !!!

Author: Listening Heart

A writer who loves to explore and learn. The one who writes her life experiences & heartfelt feelings.

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